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जीवन का आधार है परिवार-My Family is My Life
हमारे जीवन को आकार देने में हमारे परिवार का बहुत बड़ा एवं महत्वपूर्ण योगदान होता है. हम जीवन में कितना आगे तक जाएंगे, क्या करेंगे और हम कैसे बनेंगे-यह सब हमारे परिवार के संस्कार ही तय करते हैं.
अगर हम परिवार में अच्छे संस्कार एवं अच्छे गुण आत्मसात करते हैं तो आगे चलकर हम ना केवल अपने जीवन में ही सफल हो पाएंगे, बल्कि इस समाज, इस राष्ट्र के लिए भी हम अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान कर पाएंगे. तो आइये आज की पोस्ट-जीवन का आधार है परिवार (My Family is My Life) में हम इसी बेहद महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे.
परिवार की परिभाषा (What is family in Hindi)
जन्म से लेकर अंत तक जिससे हमारा खूबसूरत का जुड़ाव होता है, वह हमारा परिवार होता है.
परिवार है तो संस्कार है, परिवार ही जीवन का आधार है, परिवार में खुशियों का संसार है, परिवार ईश्वर का अनमोल उपहार है, परिवार बिना जीवन नैया डूबती बीच मंझधार है, परिवार जैसा भी हो हर रूप में स्वीकार है, परिवार है तो भव सागर से बेड़ा पार है और परिवार नहीं तो संपूर्ण जीवन बेकार है.
परिवार वह बगिया है, जिसमें रिश्ते रूपी सुंदर और सुगंधित फूल खिलते हैं. तमाम रिश्ते एक दूसरे से इस कदर जुड़े होते हैं कि उनकी खुशबू से सारा घर महक उठता है. परिवार के आपसी रिश्तो में स्नेह, अपनत्व, प्रेम एवं भाईचारा जैसे मानवीय गुण एक दूसरे को परस्पर जोड़े रखते हैं. इसी से एक दूसरे की, एक-दूजे के लिए त्याग और समर्पण की भावना विकसित होती है. जिस कारण रिश्तों में परस्पर बेहद लगाव एवं जुड़ाव हो जाता है.
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परिवार क्यों महत्वपूर्ण है (Importance of Family)?
परिवार में हमें संस्कार मिलते हैं. उन संस्कारों से हमारा पूरा जीवन संचालित होता है. हमें जैसे संस्कार मिलते हैं, वैसा ही हमारा समस्त आचार-विचार और व्यवहार निर्मित हो जाता है. हमारा संपूर्ण जीवन परिवार से ही संबद्ध होता है.
परिवार में तमाम रिश्तों के बंधन में बंध कर इंसान बेहद मजबूत और विकसित सोच वाला व्यक्ति बन जाता है. उसको रिश्तों की अहमियत समझ में आ जाती है. ऐसा इंसान आगे चल कर इस समाज एवं राष्ट्र का प्रबुद्ध और अच्छा नागरिक बनता है.
तमाम रिश्तों से मिलकर परिवार की आधारशिला बनती है, और फिर उस नींव पर सपनों का सुंदर एवं मजबूत महल खड़ा होता है. परिवार में समस्त रिश्ते अर्थात माता-पिता, भाई बहन, पति-पत्नी, सास-ससुर सभी रिश्ते मोतियों की एक सुंदर माला के समान एक-दूसरे में पिरोये हुए होते हैं. समस्त रिश्ते परस्पर आपस में जुड़ कर हमारे जीवन को एक नया अर्थ प्रदान करते हैं.
जहां रिश्तो में प्यार होता है, वही परिवार होता है. माता-पिता का लाड-प्यार, बहन-भाई का दुलार और स्नेह पलक झपकते ही जिंदगी की हर एक मुश्किल राह को आसान कर देता है. जिंदगी में जब कोई सही रास्ता दिखाई नहीं देता तो घर के बुजुर्ग अपने अनुभव से हमें सही मार्ग प्रदान करने में बेहद मददगार साबित होते हैं.
मन-मस्तिष्क पर जब कभी भी किसी भी बात को लेकर बेहद तनाव हो या कोई और बात हो तो परिवार के बीच में थोड़ी देर के लिए ही सही बैठ कर देखिए, आपका तनाव देखते ही देखते छू- मंतर हो जाएगा.
वर्तमान युग में जब अकेलेपन और निराशा का माहौल है, ऐसे में परिवार की जरूरत और भी अधिक महसूस होती है. परिवार के छोटे बच्चों को भी दादा-दादी का स्नेह एवं नाना-नानी के प्यार-दुलार का ना होना बहुत खलता है.
बचपन से लेकर सयाने होने तक हमारी जिंदगी में परिवार का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है. हम जीवन की तमाम ऊंचाइयां परिवार की बदौलत ही छू पाते हैं. माता-पिता तमाम कष्ट सहकर भी अपनी संतान को ऊंचे से ऊंचा मुकाम हासिल कराने के लिए कोई कसर उठाकर नहीं रखते.
हमारे जीवन का आधार ही हमारा परिवार है. परिवार नहीं तो हम भी कुछ नहीं. जीवन में जो कुछ भी हम पाते हैं, वह सब परिवार ही तो देन है. परिवार अपने हर सदस्य को सदैव बुलंदियों पर देखना चाहता है और जरूरत पड़ने पर हर संभव योगदान भी करता है.
हर एक संकट में, हर एक सुख-दुख में परिवार ही सच्चा भागीदार एवं मददगार साबित होता है
पारिवारिक रिश्ते बेहद ही महीन और नाजुक तार से बने होते हैं. ये तार सदैव एक दूसरे के हृदय से जुड़े होते हैं. परिवार में रिश्तों की मिठास होती है और यह मिठास जीवन को अत्यंत मधुर और सरस बना देती है.
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पारिवारिक रिश्तों को बिखरने से कैसे बचायें?
जहाँ दो बर्तन एक साथ होते हैं, उनमें टकराहट होना बहुत ही स्वाभाविक सी बात है. परिवार में यदा-कदा मनमुटाव और मतभेद जैसी चीजें भी चाहे-अनचाहे हो ही जाती हैं. लेकिन इनका असर बहुत देर तक एवं बहुत दूर तक नहीं होना चाहिए.
अगर परिवार के किसी भी सदस्य से किसी प्रकार की कोई छोटी-मोटी भूल हो भी जाती है या कोई नासमझी में अनजाने में कोई गलती कर बैठता है तो परिवार के अन्य सदस्यों को यही शोभा देता है कि उसे आराम से और प्रेमपूर्वक समझाएं. उस बात को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर तिल का ताड़ नहीं बनायें. गलती करने वाले सदस्य को आत्मावलोकन एवंम आत्मसुधार का एक अवसर जरूर प्रदान करें.
परिवार के छोटे सदस्यों को चाहिए कि वह परिवार के बड़े-बुजुर्गों को यथोचित एवं यथा योग्य सम्मान प्रदान करें. इसका कारण है कि घर के बड़े बुजुर्गों ने परिवार के पालन-पोषण में अपना समस्त जीवन न्यौछावर कर दिया है. उनकी छांव में ही छोटे बच्चे पल्लवित एवं पोषित होकर विशाल वृक्ष बन पाते हैं. परिवार के बड़े सदस्यों का भी यह कर्तव्य है कि छोटों की नादानियों को सरलता से ग्रहण करें और उन्हें यह अवसर जरूर प्रदान करें, जिससे वो खुद को सही साबित कर सकें.
हमें कैसे भी करके अपने परिवार को एक डोर में बांध के रखने का प्रयास सदैव करना चाहिए. क्योंकि परिवार ही वह सीमेंट है, जो तमाम रिश्तों को एक साथ जोड़े रखती है. एक दूसरे के प्रति लगाव, परस्पर अपनत्व की भावना ही जिंदगी के हर कड़वे से कड़वे अनुभव पर किसी असरदार मरहम का सा कार्य करती है.
परिवार की छत्रछाया में रहने से जिंदगी की तमाम मुश्किल राहें भी आसान हो जाती हैं. इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि हम सदैव अपने परिवार को एकता के सूत्र में बांध कर रखें. कभी भी आपसी मतभेदों को, परस्पर मतैक्य को इतना अधिक नहीं बढ़ने देंगे कि वह हमारी पारिवारिक एकता को खंडित कर सके या घर की दीवारों के बीच नई दीवार उठा सके.
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परिवार के बिखरने से होने वाले नुकसान
परिवार के ना होने की पीड़ा वही लोग अच्छे से बता सकते हैं, जो किसी कारणवश चाहे-अनचाहे अपने परिवार से बिछुड़ गए हैं. जिनको अब अपने परिवार कई बहुत याद सताती है, लेकिन वह चाह कर भी अब अपने आपको उस परिवार का हिस्सा नहीं बना सकते.
वर्तमान परिदृश्य में एकाधिक कारणों से संयुक्त परिवार अब एकल परिवार में बदलते जा रहे हैं. इससे बहुत ज्यादा हानि हुई है. जिस इंसान को परिवार का प्यार नहीं मिल पाता, उसका ना केवल मानसिक विकास बल्कि साथ ही साथ चारित्रिक विकास भी अवरुद्ध हो जाने की पूर्ण संभावना बनी रहती है.
पूर्व में दादा-दादी, नाना-नानी आदि की छत्रछाया में बच्चों में जो संस्कार विकसित होते थे, वे अब सब तिरोहित होते जा रहे हैं अर्थात अब बच्चों में उनका अभाव होता जा रहा है. बुजुर्गों द्वारा बच्चों का मानवीय गुणों का जो परिचय कराया जाता था, इससे बच्चों की नींव जन्म से ही मजबूत बन जाती थी. अब वह सब कहीं खो सा गया है. यह हम सबके लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य है.
पारिवारिक रिश्तों का बिखराव कभी भी अच्छा नहीं होता. क्योंकि जब रिश्ते बिखरते हैं तो अंतर्मन में बहुत कुछ टूट सा जाता है. बहुत तकलीफ या वेदना होती है. बहुत असहनीय दर्द होता है.
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