Kafan Munshi : PremChand | कफ़न : मुंशी प्रेमचन्द

 कफ़न : मुंशी प्रेमचन्द      झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। … Read more

असाध्य वीणा : अज्ञेय

आ गए प्रियंवद! केशकंबली! गुफा-गेह! राजा ने आसन दिया। कहा : ‘कृतकृत्य हुआ मैं तात! पधारे आप। भरोसा है अब मुझको साध आज मेरे जीवन की पूरी होगी!’ लघु संकेत समझ राजा का गण दौड़। लाए असाध्य वीणा, साधक के आगे रख उसको, हट गए। सभी की उत्सुक आँखें एक बार वीणा को लख, टिक … Read more